भौगोलिक संकेत क्या होता है | GI Tag क्या होता है
GI Tag, GI Tag फुल फॉर्म, GI Tag इतिहास, GI Tag मुख्यालय, GI Tag फायदे, GI Tag क्या होता है, GI Tag आवेदन (GI Tag, GI Tag Fullform, GI Tag History, GI Tag office, GI Tag benifits, What is GI Tag, GI Tag application, ).
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे है GI Tag के बारें में ,जैसे के हम सभी जानते हैं कि अभी कुछ दिन पूर्व अयोध्या के लड्डू को GI Tag मिला है, और यही नहीं उड़ीसा की लाल चीटियों की चटनी ,प्रयागराज के अमरुद, लखनऊ का आम, दार्जिलिंग की चाय ये वो सब उत्पाद के जिन्हें GI Tag मिल चूका है |
भारत में 400 से अधिक GI Tag अधिकृत उत्पाद हैं जिन्हें रजिस्टर किया जा चूका है |
तो आइये जानते है GI Tag के बारे में वह सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं |
GI Tag क्या होता है ( What is GI Tag ) :-
GI Tag या भोगोलिक संकेत एक ऐसा विशेष दर्जा होता है जो कि किसी विशेष रूप और विशेष क्षेत्र से संबंधित किसी विशेष उत्पाद को दिया जाता है |
इसका प्रयोग उन उत्पादों के लिए किया जाता है जिनकी एक विशेष भौगोलिक उत्पत्ति होती है |
GI Tag का उपयोग खाने से संबंधित उत्पादों , एग्रीकल्चर उत्पादों , हेंडीक्राफ्ट उत्पादों के लिए होता है |
GI Tag फुलफोर्म (GI Tag Fullform ) :-
GI Tag का फुल्फोर्म Geographical Indication या भौगोलिक संकेत है |
GI Tag कौन देता है ( Who issues GI Tag ) :-
GI Tag की पंजीकरण पात्रता “वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय” के अधीन “उद्योग और आतंरिक व्यापार संवर्धन विभाग” द्वारा दी जाती है
GI Tag का इतिहास ( History of GI Tag ) :-
GI Tag की शुरुआत विश्व व्यापार संघटन ( World Trade Organisation ) ने की थी |
हमारे देश में दिसंबर 1999 में उत्पाद के रजिस्ट्रेशन और सरंक्षण को लेकर संसद में एक अधिनियम पारित हुआ जिसे ज़िओग्रफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स एक्ट 1999 ( रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटक्शन) कहा जाता है |
इस एक्ट को 15 सितम्बर 2003 में लागू किया गया था . दार्जिलिंग की मशहुर चाय को सबसे पहला GI Tag मिला था |
GI Tag लेने के लिए आवेदन कैसे करें (GI Tag Registration Process in Hindi)
- GI Tag प्राप्त करने के लिए कोई विशेष उत्पाद बनाने वाली संस्था या एसोसिएशन इसके लिए सरकार की अधिकृत वेबसाइट (www.ipindia.gov.in) से आवेदन फॉर्म डाउनलोड कर सकता है |
- इच्छुक आवेदनकर्ता आवेदन फॉर्म को हिंदी या इंग्लिश में भरा जा सकता हैं |
- इसके लिए 5000 रूपए की फीस भरनी पड़ती है जिसे डिमांड ड्राफ्ट, चेक, या मनी आर्डर के द्वारा भुगतान किया जा सकता है |
- पूर्ण आवेदन फॉर्म भर जाने के बाद आवेदनकर्ता को अपना हस्ताक्षर इस फॉर्म पर करना पड़ता है तभी यह मान्य कहलाता है |
- GI Tag 10 वर्षों के लिए किसी संस्था या एसोसिएशन को दिया जाता है |
- इसका मुख्यालय तमिलनाडु के चेन्नई शहर में है |
GI Tag के फायदे ( Benifits Of GI Tag ) :-
GI Tags होने के निम्नलिखित फायदे है :-
- उत्पाद की क़ानूनी सुरक्षा |
- यह दूसरों द्वारा उत्पादों के अनाधिकृत उपयोग को रोकता है |
- यह उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद को प्राप्त करने में सहायता करता है और उत्पाद की प्रामाणिकता का आश्वासन देता है |
- राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय बाजार में GI Tag वस्तुओं की मांग बढाकर उनके उत्पादों की समृधि को बढ़ावा प्रदान करता है |
- यह उन लोगों को सुविधा प्रदान करता है जिनके पास यह tag इस्तेमाल करने का अधिकार होता है |
- उत्तराखंड राज्य देश का पहला ऐसा राज्य है जिसे एक दिन में 18 से अधिक GI tag मिले है |
दोस्तों आशा करते हैं आप को आज का ब्लॉग पसंद आया होगा | और वो सब जानकारी आप को मिली होगी जिसे आप जानना चाहते होंगे |