दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि टायर क्या होता है ? टायर का रंग काला ही क्यों होता है ?
टायर क्या है
दोस्तों आज के समय में हर उम्र का व्यक्ति कोई न कोई गाडी (Vehicle) का इस्तेमाल करता जरुर करता है | फिर वो चाहे ५ साल का बच्चा अपनी साइकिल चला रहा हो या फिर युवा मोटरसाइकिल और कार |
इन सब व्हीकल्स में टायर का उपयोग जरुर होता हैं |
दोस्तों टायर शब्द अंग्रेजी के शब्द ‘अटायर’ से निकला है जिसका अर्थ वस्त्र होता है, तो दूसरे शब्दों में टायर का अर्थ एक पहिये की पोशाक है।
टायर एक प्रकार का गोलाकार आकार का पहिया होता है जिसे पहिये पर लगाया जाता है ताकि की कोई भी गाडी चल सके, वाहन चलते समय झटको को सहन करने के लिए पहिये को लाचिलेदार बनाया जाता है ताकि हमे झटके (jerk) महसूस न हो |
टायर का इतिहास
दोस्तों टायर के इतिहास पर हम अगर नजर डालें तो ये पता चलता है कि शुरूआती दोर में टायर लोहे के पट्टों के बने होते थे, जिन्हें घोड़ागाड़ियों या वैगनों के लकड़ी के पहियों पर चढ़ाया जाता था।
बैलगाड़ियों में तो अभी भी इस तरह के लोहें के टायरों का इस्तेमाल होता है।
वर्ष १८४४ में जब चार्ल्स गुडईयर ने vulcanized रबर का आविष्कार किया, उसके बाद से पूरे विश्व में रबर के टायर बनने की पहल हुई।
schotish इंजिनियर रोंबर्ट विलियम थोमसन ने वर्ष १८४५ में पहला न्यूमेटिक (वायवीय) टायर बनाया। पर इसके निर्माण एवं फिटिंग में काफी उलझनें थी, जिसकी वजह से यह सफल नहीं रहा।
पहला व्यावहारिक रूप से सफल न्यूमेटिक टायर बनाने का श्रेय जॉन बॉयड डनलप (John Boyd Dunlop) को जाता है, जिन्होंने वर्ष १८८७ में अपने दस वर्षीय बेटे की साइकिल के में लगाने के लिए इसे बनाया था। उनके टायर में लेदर के हौजपाईप को ट्यूब की तरह इस्तेमाल किया गया था।
इस घटना के कुछ समय बाद ही रबर ट्यूब अस्तित्व में आ गई। जल्द ही इन टायरों का ऑटोमोबाइल में भी इस्तेमाल होने लगा।
बीसवीं सदी के शुरूआती दौर में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अनेक टायर कंपनियां अस्तित्व में आई, जों ऑटो इंडस्ट्रि के साथ-साथ बढ़तीं गई।
आज दुनिया में सालाना एक अरब से ज्यादा टायरों का निर्माण होता है।
टॉप १० indian टायर कंपनीज
- अपोलो टायर्स (apollo Tyres)
- गुड इयर (Good Year)
- MRF टायर्स
- CEAT
- Bridgestone
- Michelin
- राल्को टायर्स
- TVS टायर्स
- JK टायर्स
- Continental
टायर काले रंग के क्यों होते हैं
आइये अब हम जानते है कि आखिर टायर काले रंग के ही क्यों होते हैं ? और इन्हें काला क्यों बनाया जाता है ?
दोस्तों टायर जो कि मुख्य रूप से नेचुरल रबर (Rubber ) से बनता है | जैसा हमे पता ही है कि नेचुरल रबर सफ़ेद रंग की होती है तो टायर भी पहले सफ़ेद रंग के बनते थे |
किन्तु नेचुरल रबर की वजह से ये बहुत ही सॉफ्ट होते थे और बहुत जल्दी घिस जाया करते थे | वाहन का अधिक जोर पड़ने के कारण से ये सिकुड़ जाते थे और उनकी लाइफ बहुत कम होती थी |
इस परेशानी को दूर करने के लिए इसके उत्पादन के समय रबर में कार्बन और सल्फेट मिलाया जाने लगा | जिसकी वजह से टायर की मजबूती बढ़ी ,और साथ में कार्बन ब्लैक भी मिलाया जाने लगा |
कार्बन ब्लैक की वजह से टायर का रंग काला हो जाता है|
एक वजह टायर के काले होने कि यह भी है कि काला रंग गर्मी का अवशोषक होता है | और जब टायर हाई स्पीड में चलते है और घर्षण की वजह से जो ऊष्मा उत्पन्न होती है काला रंग उसे अवशोषित कर लेता है |
सामान्यतः अगर एक टायर बिना कार्बन और सल्फेट के मिश्रण से बना है तो वो अधिकतम १०००० किलोमीटर चल पाएगा, और अगर टायर कार्बन और सल्फेट के मिश्रण से बना है तो वो अधिकतम 1 लाख किलोमीटर तक चल पाएगा,
टायर कैसे बनाया जाता है | टायर उत्पादन की विधि
दोस्तों अब जानते है कि टायर को बनाया कैसे जाता है ? टायर बनाने की तकनीक को वल्कनाइजेशन कहा जाता है |
तो आइये अब हम जानते है की किसी भी फैक्ट्री में टायर का उत्पादन कैसे किया जाता है ?
- किसी भी टायर को manufacture करने के लिए सबसे पहली स्टेप होती है रबर कंपाउंड बनाने की यह विभिन्न प्रकार के केमिकल्स की मिक्सिंग जिसमे रबर, कार्बन ब्लैक, सल्फर और अन्य मटेरियल से बनाया जाता है |
- रबर कंपाउंड बनने के बाद इसे टायर बिल्डिंग मशीन में भेजा जाता है | जहाँ पर मशीन ऑपरेटर कई रबर की परत तैयार करकर टायर बनाता है इस समय टायर को ग्रीन टायर कहा जाता है |
- ग्रीन टायर बनने के बाद इसे एक मोल्ड में डाला जाता है |
- यह मोल्ड एक प्रकार के बलून पैटर्न का होता है जिसमे ग्रीन टायर को रख के मोल्ड को बंद किया जाता है |
- इसके बाद बलून में स्टीम (२६० डिग्री सेल्सियस )को प्रवाहित किया जाता है जिससे बलून फैलता जाता है मोल्ड की बाहरी सतह तक |
- कुलिंग प्रोसेस पूर्ण होने के बाद टायर को बाहर निकाल लिया जाता है |
- हर एक टायर को विभिन्न क्वालिटी बिन्दुओं के आधार पर आकलन किया जाता है|
- बाद में टायर को टेस्ट व्हील में लगाया जाता है उसमे हवा भरी जाती है और उसे घुमाया जाता है |
- टेस्ट व्हील में sensors लगे होते है जो कि टायर का बैलेंस चेक करते है और यह देखते है कि टायर एक सीधी लाइन में चल रहा है कि नहीं |
- सभी क्वालिटी बिन्दुओ से गुजरने के बाद इसे पैकिंग में भेज दिया जाता है |
दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हमने सिखा की टायर क्या होता है ? टायर का इतिहास , टायर काले रंग का क्यों होता है ? टॉप १० टायर बनाने वाली कंपनीज और टायर बनाने की विधि |
आशा करते है की इस ब्लॉग में जो भी जानकारी दी गयी है उससे आप ने वो सब कुछ जाना जो आप को जानना चाहिए था |
इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया पर शेयर करें ताकि और लोग भी इसके बारे में जान सके |
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