सेना दिवस क्या है | What is Army Day

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दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे की सेना दिवस क्या है (Army Day क्या है )? और ये क्यों मनाया जाता है

सेना दिवस क्या है

 

हर साल १५ जनवरी को सेना दिवस सम्पूर्ण भारत वर्ष में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता हैं |

इसे हम थल सेना दिवस के नाम से भी जानते हैं |

इस दिन थल सेना अपना शक्ति का प्रदर्शन करती है |

इस वर्ष  २०२२ में हम अपना ७४ वां सेना दिवस मनाएंगे |

सेना दिवस का इतिहास 

आज ही दिन १५ जनवरी १९४९ में फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे |

उनके इस दिन फील्ड मार्शल की उपाधि पाने के उपलक्ष्य में ही इसे सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है |

इससे पहले यह पद जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर के पास हुआ करता था |

इन्होने वर्ष १९४७ के भारत-पाक युद्ध में भारत का नेतृत्व किया था |

सेना दिवस हमारे वीर सैनिको के पराक्रम और शौर्य गाथायो को परिभाषित करता है |

अमर जवान ज्योति पर ज्योत जला कर सैनिको के शौर्य को सम्मानित किया जाता है |

इस दिन नयी दिल्ली में सेना हेड क्वार्टर में कई प्रोग्राम आयोजित किये जाते है |

सेना अध्यक्ष परेड की सलामी लेते है. सैनिक मोटर साइकिल पर कई तरह के शक्ति प्रदर्शन करते है  पिरामिड बनाते हैं ,

१ ही बाइक पर १०-१५ जवान अपन कौशल दिखाते है

भारतीय थल सेना की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी की सैन्य टुकड़ी के रुप में हुई थी। बाद में यह ब्रिटिश भारतीय सेना बनी और फिर भारतीय थल सेना के नाम दिया गया।

के.एम. करिअप्पा जीवनी ( K.M.Kariappa Biography)

के.एम. करिअप्पा का पूरा नाम था कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा.

इनका जन्म २८ जनवरी १८९९ में कर्नाटक शनिवर्सांथि नामक स्थान पर हुआ था.

के.एम. करिअप्पा का निधन १५ मई १९९३ में बैंगलोर में हुआ था.

वर्तमान में इस जगह को कुडसुग के नाम से जाना जाता है

इनके पिता कोडंडेरा माडिकेरी में एक राजस्व अधिकारी थे।

वे अपने परिवार सहित लाइम कॉटेज में रहा करते थे।

करिअप्पा के तीन भाई तथा दो बहनें भी थीं।

करिअप्पा को घर के सभी लोग प्यार से ‘चिम्मा’ कहकर पुकारते थे।

करिअप्पा की प्रारम्भिक शिक्षा माडिकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में हुई।

वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे, और गणित, चित्रकला उनके प्रिय विषय थे।

फुरसत के क्षणों में वह प्रायः कैरीकेचरी बनाया करते थे।

सन् 1917 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात् इसी वर्ष उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कालेज में प्रवेश ले लिय़ा।

कालेज जीवन में प्राध्यापक डब्लू.एच. विट्वर्थ व अध्यापक एस.आई. स्ट्रीले का करिअप्पा पर गहरा प्रभाव पड़ा।

इनके मार्गदर्शन में करिअप्पा का किताबों के प्रति लगाव बढ़ता गया। एक होनहार छात्र के साथ-साथ वह क्रिकेट, हॉकी, टेनिस के अच्छे खिलाड़ी भी रहे। (विकिपीडिया के आभार से)

भारतीय सेना के बारे में जानकारी

भारतीय सेना का गठन ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा वर्ष १७७६ में किया गया था |

बाद में यह सेना ब्रिटिश भारतीय सेना बनी. और बाद में यह भारतीय थल सेना बनी |

आज के समय में भारतीय सेना विश्व की चोथे नंबर की सबसे बड़ी सेना है |

इसमें सबसे पहले स्थान पर अमेरिका फिर रूस, चीन और फिर भारतीय सेना का स्थान है |

आज के समय में हमारी सेना न सिर्फ देश के दुश्मनों से हमारी रक्षा करती है अपितु देश पर आये कई संकटों में भी ये देश के हर नागरिक की सुरक्षा एवं सहायता करती है |

फिर वो भारी बारिश से नागरिको को निकालना हो या फिर भूकंप और बर्फबारी से नागरिको की रक्षा करना हो |

आज हम सब चैन की नींद सो पाते है क्योकि हमारे सैनिक बड़े ही पराक्रम एवं अपने शौर्य से सीमा पर अपनी ड्यूटी करते है |

2021 में 73वें सेना दिवस को चिह्नित करने के लिए, भारतीय सेना ने भारत की शानदार जीत के लिए स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह का आयोजन किया गया था |

1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के 50 साल पूरे होने पर 2021 को ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के रूप में मनाया गया था |

 

दोस्तों आशा करते है कि आप को आज का हमारा ब्लॉग पसंद आया होगा. और आप को यह पता चल गया होगा कि सेना दिवस हर वर्ष १५ जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है.

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