सहस्त्रबाहु अर्जुन जयंती कब मनाई जाती है | सहस्त्रबाहु अर्जुन जयंती 2024

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सहस्त्रबाहु अर्जुन जयंती कब मनाई जाती है

नमस्कार  दोस्तों आज हम बात करने वाले है अर्जुन के नाम से प्रसिद्ध सहस्त्रबाहु अर्जुन के बारे में |

सहस्त्रबाहु अर्जुन को सहस्त्रबाहु अर्जुन रूप में भी जाना जाता है | सहस्त्रबाहु अर्जुन जयंती कार्तिक शुक्ल सप्तमी को मनाई जाती है |

आज का मध्य प्रदेश पहले महिष्मति के नाम से जाना जाता था | इस पर जिनका राज्य चलता था वे थे कार्तवीर्य हैहय जो की रजा कृतवीर्य के पुत्र थे |

हैहय जो थे वे यदु के पुत्र सहस्त्रजित के पुत्र थे | सहस्त्रबाहु अर्जुन को केवल उनके नाम से ही जाना जाता है |

मान्यताओ के अनुसार उनके एक हजार हाथ हुआ करते थे जिसकी बहुत सारी कहानिया भी है | इनको भगवान दत्तात्रय का बहुत बड़ा उपासक भी माना जाता है |

महिष्मति ( मध्य प्रदेश ) को सहस्त्रबाहु अर्जुन ने कर्कोटक नाग से युद्ध  जीत कर हासिल किया था और बाद में इसे अपनी राजधानी बनाया

सहस्त्रबाहु अर्जुन की प्रमुख कहानियां :-

1) सहस्त्रबाहु अर्जुन और रावण की कहानी :-

सहस्त्रबाहु अर्जुन की पराक्रम की कहानियां रामायण में भी मिलती है| उत्तर कांड में इसका वर्णन  किया गया है , जबकि वाल्मीकि रामायण में इसका कोई वर्णन नहीं मिलता |

रावण वाले अध्याय की एक कहानी ये है कि एक बार सहस्त्रबाहु अर्जुन अपनी पत्नियों के साथ नर्मदा स्थल पर स्नान कर रहा था ठीक उसी समय दूसरी तरफ रावण अपनी शिव भक्ति में लीन था  जब इस तरफ सहस्त्र अर्जुन अपनी पत्नियों के संग जल क्रीडा कर रहा था और रावन अपनी भक्ति तब सहस्त्रबाहुअर्जुन ने अपनी सहस्त्र भुजाओ से पानी के बहाव को रोक दिया और अपनी जल क्रीडा में व्यस्त हो गया मगर उससे कहीं न कही रावण की भक्ति भजनों से व्यवधान  हो रहा था तो उसने रावण को युद्ध के ललकार और उसे युद्ध में परास्थ कर दिया | उनके युद्ध कौशल और वीरता से प्रभावित हो के रावण ने उनसे मित्रता कर ली |

सहस्त्रबाहु अर्जुन और परशुराम की कहानी :-

भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि माता रेणुका के पास गाय थी जिसका नाम था कामधेनु ऐसा कहा जाता है की कामधेनु अमृत मंथन में निकले रत्नों में से एक थी |

जब कामधेनु गाय जब ऋषि जाम दागनी के पास आई जिसकी विशेषता यह थी की वह कभी भी किसी वास्तु की कमी नहीं होने देती थी |

एक बार सहस्त्रबाहु अर्जुन ऋषि जमदग्नि से मिलने उनके आश्रम में गए और वहां की व्यवस्था देखकर बहुत प्रसन्न हुए और जब उन्हें पता चला की ये सारी व्यवस्था ऋषि ने कामधेनु गाय की मदद से की है तो उनके मन में कामधेनु को पाने का लालच आया

और जब उन्होंने ये इच्छा ऋषि को बताई तो ऋषि ने उन्हें गाय देने से मना कर दिया और गुस्से में सहस्त्रबाहु अर्जुन ने ऋषि  के आश्रम में आक्रमण कर दिया जिससे बहुत नुकसान हुआ जिसके परिणाम स्वरुप ऋषि जमदग्नि की मृत्यु हो गयी |

सहस्त्रबाहु अर्जुन और परशुराम का युद्ध हुआ ,दोनों और आग बराबर थी एक तरफ कामधेनु न मिल पाने का और दूसरी पिता की मृत्यु का प्रतिशोध का अत: परशुराम ने सहस्त्रबाहु अर्जुन के सारे परिवार का वध कर दिया और यही कहा जाता है कि 21 बार क्षत्रिय समाज का ध्वस्त कर दिया था |

सहस्त्रबाहु अर्जुन जयंती क्यों मनाई जाती है ?

सहस्त्रबाहु अर्जुन जयंती क्षत्रिय धर्म की रक्षा एवं सामाजिक व्यवस्था को स्थापित करें के लिए मनान्यी जाती है |

यह जयंती कार्तिक शुक्ल सप्तमी , दिवाली के बाद मनाई जाती है |

ऐसी भी मान्यता है कि जो भी सहस्त्रबाहु अर्जुन की मनुभाव से पूजा करता है उसके घर कभी लक्ष्मी की कमी नहीं होती और सभी आर्थिक समस्याएँ दूर हो जाती है |

दोस्तों आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हमने जाना की सहस्त्रबाहु अर्जुन जयंती कब मनाई जाती है और उससे सम्बंधित कई पुराणिक कहानियों के बारे में भी जाना.

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