गर्भ धारण संस्कार

माँ बनने की अनुभूति किसी भी स्त्री के लिए अनोखी भावना होती है जिसे शब्दों में केवल एक माँ ही पिरो सकती है |

में दो बेटियों की माँ हूँ अतः ईश्वर  के आशीर्वाद  से मुझे ये अनुभूति दो बार महसूस करने मिली |

एक बहुत लम्बा समय हर लड़की अपने माता पिता की बेटी और केवल बेटी बनके बिताया करती है और शादी के बाद वो बहुत सारे नए रिश्तो में बंधती  है |

मगर कल तक माँ की लाडली जब खुद माँ बनने  का सफ़र तय करती है तब वह अपनी माँ से और ,और अपने आने वाले बच्चे से और भी मजबूती से जुड़ जाती है |

माँ से इसलिए जुडती है कि उसे पता चलता है कि उसने जो कुछ सहन किया वो सब उसकी माँ ने सहन कर उसे इस दुनिया में लाया |

अपने अंश को अपने अंदर पालने का एहसास ही कुछ अलग है | इन ९  महीनो में वह यह नहीं सोचती की वो बेटी की या फिर बेटे की माँ बन रही है उस वक़्त वो सिर्फ उसका बच्चा होता है जो उसके अंदर सांसे ले रहा है |

माँ बच्चे के आने से पहले बहुत सारे सपने सजा लेती है की की उसकी संतान ऐसी होगी या वैसी , ये नाम रखेंगे और जाने क्या ….. वह एहसास ही बड़ा प्यारा होता है |जो कब पति पत्नी को माँ बाप बना देता है वो खुद भी नहीं समझ पाते.

गर्भधारण संस्कार क्या होता है

अब हम बात करते है गर्भधारण संस्कार की |

हमारी भारतीय संस्कृति में १६ संस्कारो में गर्भ संस्कार एक है |

ऐसा माना  जाता है,कि गर्भधारण संस्कार गर्भावस्था से लेकर जब तक बच्चा २ साल का नहीं हो जाता तब किया जाता है |

इस समय अवधि में आपको अपने बच्चे को ध्यान से समझना होता है , उसकी हर अच्छी आदत और बुरी आदत को जानना जरुरी होता है|

मनुष्य ईश्वर की सबसे सुंदर रचना है , जो दुसरे प्राणियों से अत्यधिक अलग है, मनुष्य अपनी बुद्धिमता के कारण ही दुसरे प्राणियों से बुद्धिमान है |

क्या उसके लिए अच्छा या बुरा है ये मनुष्य अच्छे से जानता है, पर गर्भधारण संस्कार सबसे पहला संस्कार माना जाता है |

इसमें वही नियम होते है जिसे आज के आधुनिक युग में चिकित्सको द्वारा गर्भावस्था में दिए जाते है |

जेसे अच्छे आचरण करना , पौष्टिक भोजन लेना , योगाभ्यास करना , संगीत सुनना सबसे जरुरी चिंता तनाव से दुरी बनाये रखना . अतः अब इसे मॉडर्न पेरेंटिंग कहे या गर्भ संस्कार दोनों एक ही हुए |

गर्भावस्था के दौरान माता जिन नियमो का पालन करती है अथवा जैसी संतान की कामना का सपना मन में रखती है वेसी संतान ही उसे प्राप्त होती है

गर्भधारण संस्कार की कहानियाँ

अगर हम हमारी पौराणिक कथाओ के अनुसार जाने तो बहुत सारी कहानियाँ हमारे इतिहास में है जो गर्भाधान के महत्त्व को समझती है आज में आपको उनके बारे में बताती हूँ |

  • कहानी-१ अभिमन्यु – अभिमन्यु के जन्म के समय उनकी माँ सुभद्रा ने पिता अर्जुन से चक्रव्यूह भेदन रहस्य सुना जिसे गर्भस्य अभिमन्यु ने सीख लिया था ,
  • कहानी-२ प्रहलाद – जिसने माता के गर्भा में रहते हुए नारद मुनि के आश्रम में हरी पूजन सीख लिया था
  • कहानी-३ शिवाजी महाराज – शिवाजी की माँ जीजा बाई ने गर्भावस्था में एक ऐसे पुत्र की कामना की थी जो राष्ट्र संरक्षण की शपथ लेकर उनके स्वप्न को साकार कर सके  , जिजाबाई ने गर्भावस्था के दौरान घुड़सवारी , तलवार बाजी की प्रबल इच्छा थी अतः हम सभी जानते है की शिवाजी महाराज की भारत के इतिहास में कितनी अहम भूमिका रही है
  • कहानी-४ स्वामी विवेकानंद – विवेकानंद की माँ भुवनेश्वरी ने अपनी गर्भवस्था में ध्यान विद्या की शिक्षा ली थी ,उन्होंने अपनी माँ से पूछा था की में जन्म से पहले में कहाँ रहता था तब उनकी माँ ने बोला तुम मेरे ध्यान में रहते थे |

तो दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हमने गर्भधारण संस्कार के बारे में जाना | आशा करते हैं आप सभी को यह पोस्ट पसंद आया होगा |

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