गर्मी की छुट्टी पर निबंध | गर्मी की छुटियाँ दोस्तों के साथ कैसे बितायी

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दोस्तों आज हम बात करने वाले है गर्मी की छुटियों के बारे में |

हम से शायद ही ऐसा कोई होगा जिसने अपने बचपन में गर्मी की छुटियाँ का मजा नहीं लिया होगा |

हम सब वार्षिक परीक्षा खत्म होने का इंतजार करते थे और गर्मी के छ्टियों की प्लानिंग आखरी पेपर के पहले ही शुरू हो जाती थी |

जब पेपर चलते थे तो ये सोचते थे कि जिस दिन पेपर खत्म होंगे उस दिन में खूब देर तक सोउंगा |

लेकिन एग्जाम होने के बात होता उसका उल्टा था, हमे नींद ही नहीं आती थी |

हमारा दिन शुरू होता था सुबह ५:३० से |

हम सब एक दुसरे को उठाते थे और फिर हम ८-९ दोस्त सुबह WALKING और रनिंग के लिए जाते थे |

मुझे याद है हमारे घर से लगभग ४ किलोमीटर पे एक खेत था, वहां पर स्थित  एक आम के पेड की शाखा पर हमने एक रेत से भरी हुई बोरी टांगी हुई थी जिस पर हम सभी कभी कभी बॉक्सिंग की प्रैक्टिस किया करते थे |

लगभग ६:३० बजे के करीब हम सब लौटते  थे, और फिर घर जाकर  चाय नाश्ता करके फिर से ८ बजे क्रिकेट ग्राउंड पर इकहट्टा हो जाया करते थे | और फिर शुरू होता था क्रिकेट के मैच का दौर | बड़ा मजा आता था मैच खेलने में , मैच लगभग १० बजे तक हम खेला करते थे|

सब लोग फिर थक हार कर एक जगह बैठ जाते थे और फिर सब अपने अपने घर चले जाते थे |

घर जाकर  हम नहा धोकर  खाना खा लेते थे |

दोपहर में हम ४ दोस्त अक्सर कंचे खेला करते थे, उन गेम्स के नाम थे “खुरा”, “टोन” आदि, बड़ा मजा आता था पूरी दोपहर उसी में निकाल जाती थी, कंचे खेलते समय हमसे बहुत बार खिडकियों के कांच फूट जाया करते थे | और हमे खूब डांट पड़ती थी |

शाम के समय हम लोग कभी गिल्ली डंडा, कभी गुलाम डंडी, कभी छुपन छुपाई, कभी सितोलिया आदि खेल हम खेला करते थे | फिर थोडा समय घर पर आराम करने के बाद हम फिर क्रिकेट खेलने के लिए निकल जाया करते थे |

शाम को ५:३० बजे से हमारे मैच शुरू होते थे , जो की ७ बजे तक चलते थे, अक्सर हम मैच ख़तम होने के बाद किसी एक दोस्त के घर पर पानी पिया करते थे , और गप्पे लड़ाते थे . हमारे घर के पास एक “फर्शी “ हम लोगों ने लगायी थी जहाँ हम सब बैठ कर शाम को भिन्न भिन्न टॉपिक्स पर चर्चा किया करते थे |

फिर घर से बुलावा आने पर सब लोग अपने अपने घर चले जाया करते थे |

रात में खाना खाने के बाद हम ३-४ दोस्त कभी बैडमिंटन तो कभी कैरम बोर्ड खेला करते थे |

एक दिलचस्प बात और, उस समय तो एयर कंडीशनर नहीं हुआ करते थे तो हम लोग छत पर सोया करते थे,

शाम के समय छत पर पानी से छिडकाव करते थे ताकि की दिन भर की गर्मी निकाल जाए और फिर ८-९ बजे बिस्तर डाल दिया करते थे.

हमने छत पर एक नाईट लैंप लगाया हुआ था जिसकी रौशनी में हम कैरम खेला करते थे, तो कभी ताश के पत्तों के विभिन गेम्स |

तो इस प्रकार से हमारा पूरा दिन व्यतीत होता था | और अगले दिन की प्लानिंग रात में करके हम सब अपने-अपने घर जा कर सो जाया करते थे |

दोस्तों आशा करते हैं, आप को आज का हमारा ब्लॉग पोस्ट “(गर्मी की छुटियाँ दोस्तों के साथ ) पसंद आया होगा |

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