नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे है भारत के प्रसिद्ध पुरातत्विद एवम आर्कियोलोजिस्ट प्रोफेसर ब्रज बासी लाल जी के बारे में जिन्हें हम बीबी लाल के नाम से भी जानते हैं | ब्रज बासी लाल जी का १०-०९-२०२२ को दिल्ली के एक अस्पताल में देहांत हो गया है, वे १०१ वर्ष के थे |
आज हम आपको उनके बारे में कुछ रोचक जानकारी देने का प्रयत्न करने जा रहे है . ये एक ऐसे शख्स थे जिनके कारण आज अयोध्या में राम मंदिर बनने का सपना पूर्ण हो पाया |
भारत की संस्कृति और पुरातत्व में उनका अभूतपूर्व योगदान रहा |
देश के कई जाने माने पुरातत्व प्रोफेसर उन्हें आर्कियोलाजी का “भीष्म पितामह” मानते हैं , क्योकिं उन्होंने अपने जीवनकाल में कई ऐसे तत्व खोजे एवं उनका आकलन किया जिसके कारण उनकी एक अलग पहचान बन गयी |
आइये जानते है प्रोफेसर बी बी लाल जी के बारे में
आर्कियोलोजिस्ट ब्रज बासी लाल जीवन परिचय
जीवन परिचय बिंदु | जीवन परिचय |
पूरा नाम | ब्रज बासी लाल |
उपनाम | बी बी लाल |
जन्म तिथि’ | २ मई , १९२१ |
जन्म स्थान | बैडोरा गाँव, झाँसी (उत्तर प्रदेश) |
मृत्यु तिथि | १० सितम्बर २०२२ |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
पिता | नाम ज्ञात नहीं |
माता | नाम ज्ञात नहीं |
पुत्र | ३ (राजेश लाल, ब्रजेश लाल, राकेश लाल) |
शिक्षा | इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक |
पेशा | पुरातत्विद |
नागरिकता | भारतीय |
मुख्य रचनाए | राम,उनकी ऐतिहासिकता ,मंदिर और सेतु :साहित्य ,पुरातत्व और अन्य विज्ञान |
ब्रज बासी लाल का कारिअर एवं इंटरेस्टिंग फैक्ट्स (Braj Basi Lal Career and Interesting Facts) –
अपनीशिक्षापूरी करने के बाद बी बी लाल जी ने पुरातत्व में अपनी रूचि दिखाई और वर्ष १९४३ में ब्रिटिश पुरातत्वविद्, मोर्टिमर व्हीलर केसाथ खुदाई में प्रशिक्षु बन गए , जो तक्षशिला से शुरू हुआ था |
- वर्ष १९६८ में बी बी लाल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का महानिदेशक नियुक्त घोषित किया गया |
- वर्ष १९७५-७६ में इन्होने रामायण से जुड़े अयोध्या ,भारद्वाज आश्रम,श्रुंगवेरपुरा,नंदीग्राम,चित्रकूट जैसे स्थलों पर जा के खुदाई करके इतिहास के कई अहम् एवं महत्वपूर्ण साक्ष्य दुनिया के सामने उजागर किये |
- बी बी लाल ने अपने जीवनकाल में हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश),शिशुपालगढ़ (उड़ीसा), पुराना किला (दिल्ली),कालीबंगन (राजस्थान) जैसे ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई करके पुरे भारतवर्ष के समक्ष कई पुराने साक्ष्य उजागर किये |
- वर्ष १९७५ में अयोध्या में खुदाई के दौरान कई ऐसे प्रमाण मिले जिससे यह सिद्ध हो पाया कि वहां सदियों पहले राम मंदिर हुआ करता था |
- वर्ष २०१५ में राजघाट पुरातात्विक स्थल पर खुदाई के दौरान ऐसी वस्तुएं मिली जिनका अवलोकन करने के बाद यह पता चला की यह ३५०० वर्ष पुरानी है |
- बी बी लाल यूनेस्को की कई समितियों के हिस्सा थे |
- बी बी लाल ने अपने जीवनकाल में १५० से भी ज्यादा शोध पत्र प्रकाशित किये और २० से ज्यादा पुस्तके लिखी |
- बी बी लाल ने रामायण ,महाभारत,सिंधु घाटी सभ्यता और कालीबंगन के कई विषयो पर रिसर्च और सर्वे किया |
ब्रज बासी लाल पुरस्कार ( Braj Basi Lal Awards)
- वर्ष १९७९ में नालंदा विश्वविद्यालय के नव नालंदा महाविहार द्वारा “विद्या वारिधि” की उपाधि से सम्मानित किया गया |
- वर्ष १९८२ में मिथिला विश्वविद्यालय द्वारा “महाहोपाध्याय” की उपाधि से सम्मानित किया गया
- वर्ष १९९१ में उन्हें जीवन के लिए मानद फेलोशिप,एशियाटिक सोसाइटी of बंगाल से नवाजा गया |
- वर्ष २००० में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से की उपाधि से सम्मानित किया गया |
- वर्ष २०२१ में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से की उपाधि से सम्मानित किया गया |
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Frequently Asked Question
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ब्रज बासी लाल का जन्म कब हुआ था
Ans- 2 मई १९२१
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ब्रज बासी लाल का जन्म स्थान
Ans- बैडोरा गाँव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)
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ब्रज बासी लाल की मृत्यु कब हुई
Ans-10 सितम्बर २०२२
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ब्रज बासी लाल को पद्म भूषण पुरस्कार कब मिला
Ans-वर्ष २०००
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ब्रज बासी लाल को पद्म विभूषण पुरस्कार कब मिला
Ans-वर्ष २०२१
दोस्तों आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हमने महान आर्कियोलोजिस्ट प्रोफेसर ब्रज बासी लाल जी के बारे में जाना | आशा करते हैं आप को आज का ब्लॉग पोस्ट पसंद आया होगा |
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बहुत अच्छी जानकारी है,साधुवाद